एक अभूतपूर्व साइबर हमले में 30 से अधिक डेटाबेस से 16 अरब लॉगिन विवरण उजागर हो गए हैं, जिससे फेसबुक, इंस्टाग्राम और जीमेल जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म के उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है।
सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस लीक को साइबर अपराध के इतिहास का सबसे बड़ा डेटा उल्लंघन बताया है, जो हैकर्स के हाथों में संवेदनशील जानकारी को एक हथियार बना सकता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि यूज़र्स तुरंत अपने पासवर्ड बदलें, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) चालू करें, और अपने अकाउंट्स की गतिविधियों पर लगातार नजर रखें ताकि किसी भी संभावित दुरुपयोग से बचा जा सके।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने हाल ही में एक बेहद गंभीर डेटा लीक का खुलासा किया है, जिसमें 30 अलग-अलग डेटाबेस से 16 अरब लॉगिन क्रेडेंशियल्स उजागर हुए हैं।
यह लीक फेसबुक, इंस्टाग्राम, जीमेल, एप्पल और कई अन्य डिजिटल सेवाओं के उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। साइबरन्यूज की टीम ने जनवरी 2025 से इस मामले की जांच शुरू की थी और उनका मानना है कि यह अब तक का सबसे बड़ा क्रेडेंशियल उल्लंघन हो सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह चोरी किया गया डेटा कुछ समय के लिए खुले सर्वर पर मौजूद था और आसानी से एक्सेस किया जा सकता था, हालांकि बाद में इसे लॉक कर दिया गया। इस डंप के मालिकों की पहचान अब तक नहीं हो सकी है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इनमें से अधिकतर डेटा सेट पहले कभी सामने नहीं आए थे। केवल एक 184 करोड़ रिकॉर्ड वाला डेटाबेस मई में वायर्ड मैगज़ीन द्वारा उजागर किया गया था।
डेटा लीक का बड़ा खतरा: सोशल मीडिया, ईमेल, मैसेजिंग ऐप्स और सरकारी पोर्टलों के अकाउंट्स पर मंडराया संकट :
हाल ही में उजागर हुए एक विशाल डेटा उल्लंघन में फेसबुक, इंस्टाग्राम, जीमेल समेत कई लोकप्रिय ऑनलाइन सेवाओं के लॉगिन क्रेडेंशियल्स लीक हो गए हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह लीक लगभग हर प्रमुख प्लेटफॉर्म को प्रभावित करता है और साइबर अपराधियों के लिए “व्यापक साइबर हमले की नींव” रखता है। इस लीक में शामिल 30 से अधिक डेटाबेस में उपयोगकर्ता नाम, पासवर्ड और वेबसाइट URLs जैसे विवरण एक निर्धारित प्रारूप में मिले हैं — एक ऐसा पैटर्न जो आमतौर पर इन्फोस्टीलर मालवेयर द्वारा उपयोग किया जाता है। ये मालवेयर विशेष रूप से संक्रमित डिवाइसेज़ से संवेदनशील जानकारी चुराने के लिए बनाए जाते हैं।
जीमेल (Gmail) से लेकर गवर्नमेंट पोर्टल तक प्रभावित :
इस डेटा में सोशल मीडिया (फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram)), ईमेल सेवाएं (Gmail), डेवलपर प्लेटफॉर्म (GitHub), मैसेजिंग ऐप्स (Telegram), VPN सेवाएं और यहां तक कि सरकारी वेबसाइट्स तक की लॉगिन जानकारी शामिल है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह चोरी किया गया डेटा केवल पुरानी जानकारियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह “ताजा, अत्यधिक खतरनाक और शोषण के लिए तैयार” खुफिया जानकारी है।
अपराधियों को मिली अभूतपूर्व ताकत :
शोधकर्ताओं का मानना है कि यह जानकारी साइबर अपराधियों को अकाउंट टेकओवर, पहचान की चोरी और टारगेटेड फ़िशिंग हमलों को अंजाम देने की अभूतपूर्व शक्ति देती है। कई मामलों में, मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन की अनुपस्थिति स्थिति को और भी गंभीर बना देती है, खासकर तब जब लीक हुए डेटा में टोकन, कुकीज और मेटाडेटा भी शामिल हों।
उपयोगकर्ताओं के लिए चेतावनी: समय रहते उठाएं कदम :
दुनियाभर में लगभग 5.5 अरब लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह उल्लंघन व्यक्तिगत और संगठनों दोनों स्तरों पर खतरा बन सकता है। विशेषज्ञों ने सभी यूज़र्स से आग्रह किया है कि वे:
- तुरंत अपने सभी ऑनलाइन खातों के पासवर्ड बदलें
- जहाँ संभव हो मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू करें
- पासवर्ड मैनेजर का इस्तेमाल कर मजबूत और यूनिक पासवर्ड बनाएं
- और अपने खातों की गतिविधि पर नियमित निगरानी रखें
इसके अतिरिक्त, “Have I Been Pwned” जैसी सेवाओं का उपयोग कर यह जांचना भी फायदेमंद हो सकता है कि आपके ईमेल या लॉगिन क्रेडेंशियल्स पहले से लीक हुए डेटा में शामिल हैं या नहीं।